Tuesday, December 15, 2009

Flyovers

निम्नलिखित लेख उस छात्र की कॉपी से लिया गया है, जिसे निबंध लेखन प्रतियोगितामें पहला पुरस्कार मिला है।निबध का विषय था - फ्लाईओवर।


फ्लाईओवर का जीवन में बहुत महत्व है, खास तौर पर इंजीनियरों और ठेकेदारों के जीवन में तो घणा ही महत्व है। एकफ्लाईओवर से न जाने कितनी कोठियां निकल आती हैं। पश्चिम जगत के इंजीनियर भले ही इसेन समझें कि भारत में यहकमाल होता है कि पुल से कोठियां निकल आती हैं और फ्लाईओवर से फार्महाउस।


खैर, फ्लाईओवर से हमें जीवन के कई पाठ मिलते हैं, जैसे बंदा कई बार घुमावदार फ्लाईओवर पर चले, तोपता चलता है किजहां से शुरुआत की थी, वहीं पर पहुंच गए हैं। उदाहरण के लिए ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफमेडिकल साइंसेज के पास केफ्लाईओवर में बंदा कई बार जहां से शुरू करे, वहीं पहुंच जाता है। वैसे, यह लाइफका सत्य है, कई बार बरसों चलते -चलते यहपता चलता है कि कहीं पहुंचे ही नहीं।


फ्लाईओवर जब नए-नए बनते हैं, तो एकाध महीने ट्रैफिक स्मूद रहता है, फिर वही हाल हो लेता है। जैसेआश्रम में अबफ्लाईओवर पर जाम लगता है, यानी अब फ्लाईओवर पर फ्लाईओवर की जरूरत है। फिर उसफ्लाईओवर के फ्लाईओवर केफ्लाईओवर पर भी फ्लाईओवर चाहिए होगा। हो सकता है कि कुछ समय बादफ्लाईओवर अथॉरिटी ऑफ इंडिया ही बन जाए।इसमें कुछ और अफसरों की पोस्टिंग का जुगाड़ हो जाएगा। तबहम कह सकेंगे कि फ्लाईओवरों का अफसरों के जीवन में भीघणा महत्व है।


दिल्ली में इन दिनों फ्लाईओवरों की धूम है। इधर से फ्लाईओवर, उधर से फ्लाईओवर। फ्लाईओवर बनने केचक्कर में विकटजाम हो रहे हैं। दिल्ली गाजियाबाद अप्सरा बॉर्डर के जाम में फंसकर धैर्य और संयम जैसे गुणोंका विकास हो जाता है,ऑटोमैटिक। व्यग्र और उग्र लोगों का एक ट्रीटमेंट यह है कि उन्हें अप्सरा बॉर्डर के जाममें छोड़ दिया जाए।


फ्लाईओवर बनने से पहले जाम फ्लाईओवर के नीचे लगते हैं, फिर फ्लाईओवर बनने के बाद जाम ऊपर लगनेशुरू हो जाते हैं।इससे हमें भौतिकी के उस नियम का पता चलता है कि कहीं कुछ नहीं बदलता, फ्लाईओवर काउद्देश्य इतना भर रहता है किवह जाम को नीचे से ऊपर की ओर ले आता है, ताकि नीचे वाले जाम के लिएरास्ता प्रशस्त किया जा सके।


फ्लाईओवरों का भविष्य उज्जवल है। कुछ समय बाद यह सीन होगा कि जैसे डबल डेकर बस होती है, वैसेडबल डेकरफ्लाईओवर भी होंगे। डबल ही क्यों, ट्रिपल, फाइव डेकर फ्लाईओवर भी हो सकते हैं। दिल्ली वालेतब अपना एड्रेस यूं बताएंगे -आश्रम के पांचवें लेवल के फ्लाईओवर के ठीक सामने जो फ्लैट पड़ता है, वो मेराहै। कभी जाम में फंस जाएं, तो कॉल कर देना,डोरी में टांग कर चाय लटका दूंगा। संवाद कुछ इस तरह के होंगे -अबे कहां रहता है आजकल रोज अपने फ्लैट से पांचवें लेवलका जाम देखता हूं, तेरी कार नहीं दिखती। सामनेवाला बताएगा - आजकल मैं चौथे लेवल के फ्लाईओवर में फंसता हूं। अबेपांचवें लेवल के जाम में फंसा कर, वहांहवा अच्छी लगती है। अबे, ले मैं तेरे ऊपर ही था, पांचवें वाले लेवल पर और तू चौथेलेवल पर, कॉल कर देता,तो झांककर बात कर लेता।


Source - A forwarded email!!!


via - umennet

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